राम नवमी का पावन पर्व भगवान श्री राम के जीवन और आदर्शों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक अवसर है। राम नवमी के ही दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने राजा दशरथ के घर में जन्म लेकर समस्त देश वासियों को अपने अपने र्कत्तव्यों के प्रति समर्पण भाव का संदेश दिया था। अपने पिता की आज्ञा को शिरोधार्य कर चौदह वर्ष तक वनवास में रहने वाले श्राी राम परिवारिक त्याग का एक अनुपम उदाहरण है। अपने पति के साथ जंगल में जीने वाली माता सीता दाम्पत्य का एक आदर्श उपस्थित करती है। भाई भाभी की सेवा सुश्रुषा और सुरक्षा में राज महल छोड़कर वन में जाने वाले लक्ष्मण एक ऐसे भाई हैं, जिससे हमारे बिखरते हुए संयुक्त परिवारों को शिक्षा लेनी चाहिए।
अन्जनि पुत्र हनुमान एक सेवक के रूप में भक्ति के चरम निदर्शन है और गली गली में स्थापित उनके हनुमान मन्दिर इस बात के साक्षी हैं कि भारतीय जीवन सेवक की सेवा, त्याग और निष्ठा को किस प्रकार से देखता है। रावण एक राक्षस होते हुए भी एक स्वाभिमानी शासक है। विभीषण न्याय और सत्य का पक्ष लेने वाले एक ऐसे राजनीतिक है , जिन्हें रामकृपा से ही न्याय मिलता है। जटायु, बालि, सुग्रीव, अंगद आदि सभी पात्रों की अपनी अपनी भूमिकायें हैं जिसे महाकवि तुलसी ने अकबर कालीन हिन्दू समाज में बड़े मनोयोग से जीवन्त बनाया। कैकेई, मंथरा, शूर्पणखा, मन्दोदरी, तारा आदि रामायण की नारी पात्रायें नारी सुलभ दुर्बलताओं के साथ आदर्श महिलायें हैं और रामायण की पूरी कथा को आज की जैसी एक वास्तविक द्यटना बनाती है।
सरयू के तीर पर ‘कनक भवन’ की जीर्ण शीर्ण प्राचीर के चारों ओर द्यूमने पर आज भी ऐसा लगता है जैसे यह राम कथा भारतीय संस्कृति के पुरातन मूल्यों को जीवन्त बना रही हो। हनुमन गढ़ी पर चढ़ कर दृष्टि फैलाने पर ऐसा महसूस होता है कि आदर्श जीवन की खोज में जीने वाला हमारा भारतीय समाज आज भी इन देवी देवताओं के आदर्शों के प्रति कितनी अगाध और सच्ची श्रध्दा रखता है। प्रति वर्ष अयोध्या में आने वाले लाखों श्रध्दालु इस बात के प्रमाण है कि समय के साथ क्षत विक्षत होते हुए भी राम कथा के ये भव्य स्मारक आज भी हमारी प्रेरणा के स्रोत हैं और रामलीला भारतीय जन जीवन में रची बसी एक ऐसी गौरव गाथा है जिससे सुखद और सात्विक जीवन को एक सशक्त सम्बल मिलता है।
आज की राजनीति की भाषा में श्री राम के चरित्र को राज धर्म का पालना करने वाला एक ‘ पंथ निरपेक्ष नरेश’ कहा जा सकता है। वे अपनी प्रजा को असीम प्यार करने वाले एक प्रजा वत्सल शासक हैं और अपने ‘राज धर्म’ को निभाने के लिए बड़े से बड़ा त्याग करते हंप और संकट की चरम स्थिति में तो युध्द भी लड़ते हैं। असत्य पर सत्य की यह विजय श्री राम के जीवन का वह अमर संदेश है जिसे सत्यमेव जयते कहा गया है। यदि भूगोल और इतिहास के इतिवृत को हटा कर राम जन्म को देखा जाये तो यह वह पवित्र अवसर है जिसे सामाजिक आदर्शों और व्यक्तिगत मर्यादाओं के सहज स्मरण के लिए र्कत्तव्य दिवस के रूप में मनाया जा सकता है।
साकेत की यह राम नगरी और राम जन्म की पावन भूमि अयोध्या अपनी प्रचीन गौरव गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए, राम जन्म मनाती रहे।