गर्मियां आते ही घर से बाहर की तेज धूप में रहने के नाम से ही परेशानी होने लगती है। लेकिन तेज धूप में बाहर जाये बिना भी कुछ नहीं हो सकता। नतीजतन गर्मी आते ही गर्मी की वजह से कई किस्म की बीमारियां होने लगती हैं। इन बीमारियों के लक्षणों और सूर्य की तेज धूप में बाहर निकलने के दौरान किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं व हमें किस तरह की प्राथमिक चिकित्सा देनी चाहिए। आइए जानते हैं गर्मी के 3 साईड इफैक्ट के बारे में।
- हीट स्ट्रोक
- थकान होना
- शरीर ऐंठना
हीट स्ट्रोक
हीट स्ट्रोक उस समय होता है जब हमारा शरीर बाहर के तापमान से अपना सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाता है। शरीर का तापमान एकाएक बढ़ जाता है और शरीर से पसीना निकलना बन्द हो जाता है। जिसकी वजह से शरीर कूल डाउन होने में असमर्थ हो जाता है। इसमें शरीर का तापमान 106 डिग्री फारेनहाइट या इससे भी अधिक बढ़ जाता है और यह बढ़ा हुआ तापमान 10-15 मिनट तक की अवधि में हो जाता है। इसे हीट स्ट्रोक लगना कहा जाता है।
हीट स्ट्रोक लगने पर मृत्यु तक होने का खतरा होता है। इसके अलावा यदि समय पर चिकित्सा न मिले तो इससे स्थायी तौर पर व्यक्ति अक्षम भी हो सकता है। हीट स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान के लिए ध्यान में रखें:
- हीट स्ट्रोक लगने पर शरीर का तापमान एकाएक बढ़ जाता है
- त्वचा गर्म, रूखी और लाल हो जाती है
- इस दौरान शरीर से पसीना नहीं निकलता
- नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है
- सिर में एकाएक दर्द शुरू हो जाता है
- नींद न आना, उल्टी होना और फिर बेहोश हो जाना इसके कारण होते हैं
किसी को भी हीट स्ट्रोक लगने पर उस तुरन्त प्राथमिक चिकित्सा की जरूरत होती है इसलिए हीट स्ट्रोक लगने पर इसे गम्भीरता से लें। अपने आसपास यदि किसी को हीट स्ट्रोक लगे तो रोगी को कूल डाउन करने के अलावा तुरन्त डाक्टर को सूचित करें। रोगी को तुरन्त छाया में ले जाएं और उसे कूल डाउन करने के लिए जो कुच भी हो सकता है करें जैसे उसे तुरन्त ठंडे पानी में रखें या रोगी को पानी के शावर के नीचे बिठायें या बर्फ के पानी के स्पंज द्वारा सिर और चेहरे पर डालें। उसके शरीर का तापमान नापें और जब तक उसका तापमान सामान्य यानी 101, 102 डिग्री फारनहाइट तक न हो जाए तब तक उसे कूल डाउन करने का प्रयास करें।
इस दौरान रोगी को कुछ पीने के लिए न दें। डाक्टर के आने का इंतजार करें। कई मामलों में हीट स्ट्रोक लगने पर मांसपेशियां अकड़ जाती है। ऐसे में रोगी की सहायता करें। जिससे वह अपने को चोटिल न करें। उसके मुंह में कोई चीज न डालें और उस कुछ पीने के लिए न दें। यदि उसे उल्टी हो जाए तो समझें कि सकी श्वास नली में कोई अवरोध नहीं है और रोगी को करवट के बल लिटाएं।
गर्मी से थकान होना
गर्मी की वजह से थकान लगना इन दिनों होने वाली एक आम समस्या है। कई दिनों लगातार तेज धूप में रहने से, कम पानी पीने से यह समस्या हो सकती है। शरीर में पानी की कमी होने से हमारी बॉडी इस तरह से संकेत देती है। वास्तव में पसीने द्वारा जो नमक शरीर से बाहर चला जाता है यह उसकी कमी का सूचक होता है। आमतौर पर उम्रदराज लोग गर्मी से ज्यादा थकान महसूस करते हैं। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर और ज्यादा तेज गर्मी धूप में काम करने वाले लोगों को भी गर्मी के दिनों में थोड़े-थोड़े समय बाद थकान होने लगती है इसके लक्षण कुछ अलग तरह के होते हैं।
- शरीर से ज्यादा पसीना आना
- रंग पीला होना
- मांसपेशियों में दर्द, थकान व कमजोरी महसूस होना
- आलस आना
- सिरदर्द होना
- उल्टी आना, बेहोश होना आदि
थकान होने पर शरीर ठंडा हो जाता है और पसीना आने लगता है, नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, सांस गहरी और तेज हो जाती है। यदि गर्मी से होने वाली थकान का इलाज न किया जाये तो यह हीट स्ट्रोक में बदल सकती है। गर्मी से थकाम लगने पर तुरन्त डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए, क्योंकि दिल से संबंधित या हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए यह खतरनाक साबित हो सकती है। गर्मी से हुई थकान के रोगी को कूल डाउन करने के लिए अल्कोहल मुक्त पेय पदार्थ पीने के लिए दें। इसके अलावा ठंडे पानी के शावर में बिठायें, स्पंज बाथ या एयर कंडीशन में रोगी को रखें। इसके साथ ही उसे हल्के कपड़े पहनाएं।
गर्मी में शरीर ऐंठना
गर्मी के दिनों में जो लोग शारीरिक श्रम ज्यादा करते हैं और उन्हें पसीना ज्यादा आता है उनके शरीर में ऐंठन होने लगती है, क्योंकि शरीर से निकलने वाले पसीने के कारण उनके शरीर से नमक और नमी दोनों की कमी हो जाती है। मांसपेशियों में नमक कम होने से उनमें ऐंठन होने लगती है। गर्मी में शरीर ऐंठने से शरीर में थकान महसूस होती है। मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन के कारण उनमें दर्द होता है। टांगों, बाजुओं और पेट में ऐंठन महसूस होती है। दिल के रोगी या कम नमक खाने वाले लोगों के लिए गर्मी के दिनों में होने वाली मांसपेशियों की ऐंठन खतरनाक भी साबित हो सकती है। इन तमाम स्थितियों में यदि ज्यादा जरूरी न हो तो डाक्टर की सहायता के बिना प्राथमिक सहायता ली जा सकती है मसलन-तमाम का रोक दें, किसी ठंडे स्थान पर चुपचाप बैठ जाएं, जूस पियें और कुछ घंटों तक कड़ा श्रम न करें। शरीर को आराम दें।