रंगों से त्वचा और बालों की सुरक्षा

रंगों से त्वचा और बालों की सुरक्षा

रंगों का मौसम है। ऐसे में आपकी त्वचा और बाल आपसे कुछ अतिरिक्त केयर चाहते हैं। रंग लगाने से पहले अपनी त्वचा और बालों की अच्छी तरह आयलिंग कर लें। रूखी, तैलीय अथवा काम्बिनेशन त्वचा एवं बालों वाले लोग भी रंग छुड़ाने के लिए पहले क्लीजिंग मिल्क और फेस वाश का इस्तेमाल करें और उसके…

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ईश्वरीय रंग में रंगना श्रेष्ठ होली

ईश्वरीय रंग में रंगना श्रेष्ठ होली

जैसे आत्मा के बिना शरीर बेकार हो जाता है और उसे मुर्दा समझकर जला दिया जाता है वैसे ही आध्यात्मिक अर्थ को समझे बिना त्योहार मनाना भी बेकार ही है, क्योंकि भारत के सभी त्योहार आध्यात्मिक अर्थ को लिये हुये हैं। अतः होली के भी आध्यात्मिक रहस्य को समझना चाहिए, क्योंकि उस आध्यात्मिक अर्थ का…

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आओ सच्ची होली मनायें

आओ सच्ची होली मनायें

भारतीय संस्कृति की परम्परा में त्योहारों का बहुत ही महत्व है। जितने त्योहार भारत में मनाये जाते है उतना शायद ही विश्व के किसी और देश में मनाये जाते है। इसमें कोई दो राय नहीं की त्योहार हमारे जीवन में उमंग और उल्हास के रंग भर देते हैं, और उसमें भी ‘होली’ का जो पर्व…

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होली : आनंद का महोत्सव

होली : आनंद का महोत्सव

रंग बोलते हैं, जीवन-रस, घोलते है, उत्साह और आनंद का संचार करते हैं, इंद्रधनुषी कल्पनाओं को जन्म देते हैं। अगर रंग नहीं होते तो जीवन नीरस हो जाता। रंग मन और मस्तिष्क में सरसता का संचार करते हैं। ऐसी सरसता जिससे जीवन मूल्यावान हो जाए। हम रंगों के माध्यम से अपनी भावनाओं और कल्पनाओं को…

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स्वस्थ रहना है तो खेलें प्राकृतिक रंगों से हर्बल होली

स्वस्थ रहना है तो खेलें प्राकृतिक रंगों से हर्बल होली

होली एक ओर तो बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनायी जाती है तो दूसरी ओर रंगों तथा हास्य के पर्व के रूप में। रंगों के बिना होली की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विभिन्न रंगों से सराबोर हो जाना चाहते हैं। होली के रंगों का आकर्षण ही ऐसा होता…

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रंग और उल्लास का पर्व होली

रंग और उल्लास का पर्व होली

होली-मंगलोत्सव भारत वर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रसिध्द लोकपर्व है। रस, रंग, माधुर्य से सराबोर यह पर्व आंतरिक उल्लास को उभारने वाला एक सांस्कृतिक पर्व है। यह पर्व कृषि कुसुमित संस्कृति के एक प्रतीक के रूप में भी प्राचीन समय से प्रचलित है। इसकी यह सार्वभौम विशेषता ही है, जिसके कारण देश के हर…

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आधुनिक युग में क्यों और कैसे करें श्राध्द?

2024 में क्यों और कैसे करें श्राध्द?

अक्सर आधुनिक युग में श्राध्द की नाम आते ही इसे अंधविश्वास की संज्ञा दे दी जाती हैं। प्रश्न किया जाता है कि क्या श्राध्दों की अवधि में ब्राह्मणों को खिलाया गया भोजन पितरों को मिल जाता है? क्या यह हवाला सिस्टम है कि पृथ्वी लोक में दिया और परलोक में मिल गया? ऐसे कई प्रश्न…

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2024 में श्राध्दों की प्रासंगिकता

2024 में श्राध्दों की प्रासंगिकता

श्राध्दों के संबंध में हमारे धर्मग्रंथों में अत्यन्त उदार व्यवस्था है। श्राध्द केवल माता-पिता या दादा-दादी की तृप्ति के लिए ही नहीं है, अपितु सभी पितरों के लिए है। इससे भी आगे बढ़कर श्राध्द सम्पूर्ण प्राणी मात्र के लिए है, जो अब इस संसार में नहीं हैं। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन के…

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पवित्र मन, वचन व कर्म से तर्पण यानि श्राध्द

पवित्र मन, वचन व कर्म से तर्पण यानि श्राध्द

हिन्दू संस्कृति में श्राध्द करना सर्वश्रेष्ठ पुण्य का कार्य माना गया है। श्राध्द करने से पितर वर्ष भर संतृप्त रहते हैं। हमारी संस्कृति में श्राध्द न करना बुरा माना गया है। ऐसे व्यक्तियों के लिये ‘पृथ्वी चंद्रोदय’ में मनु का कथन है। भारतीय संस्कृति में जन-जन का यह अटूट विश्वास है कि मृत्यु के पश्चात…

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क्षमा वीरस्य भूषणम्

क्षमा वीरस्य भूषणम्

सात्विक जीवन-यापन एवं स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था हेतु भारतीय विद्वानों ने कुछ जीवन मूल्यों का निर्धारण किया है यथा- सत्य, अहिंसा, धृति, क्षमा, दया आदि। इनके अनुगमन द्वारा मानव जीवन में उर्ध्वगमन एवं अमरता का वरण सुनिश्चित है। देवीय स्वभाव के इन लक्षणों का स्वयं श्रीकृष्ण ने गीता में उल्लेख किया है: तेज: क्षमा घृति: शौचमद्रोहो…

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