सर्दी में स्वास्थ्य रक्षा कैसे करें

सर्दी में स्वास्थ्य रक्षा कैसे करें

भोजन पचाने में शरद ऋतु सर्वोत्तम है। कसरत करने का सर्वोत्तम समय सर्दी का ही होता है। इससे शरीर का विकास होता है। स्वास्थ्यवर्धन का यह उचित समय होता है।

हर वस्तु का अफना एक अलग अनुभव एवं आनंद होता है। बसंत ऋतु की तरह सर्द ऋतु भी सुहावनी होती है। शीलत पवन, धुन्ध, हल्की फुहारें तथा स्वच्छ वातावरण मन को लुभावने लगते हैं। धूप में बैठने का आनंद अपूर्व होता है। भोजन पचाने में शरद ऋतु सर्वोत्तम है। कसरत करने का सर्वोत्तम समय सर्द ऋतु का ही होता है। इससे शरीर का विकास होता है। स्वास्थ्यवर्धन का यह उचित समय होता है।

बादाम, काजू, किशमिश, अखरोट, मूंगफली, तिल का मुग्गा या गजक, ड्रायफूड्स इस मौसम में खाने में गुणकारी रहते हैं। ये शरीर में नए जोश एवं रक्त की रचना करते है। शरीर को गर्म रखने में सहायता करते हैं क्योंकि इनमें प्रोटीन की बहुतायत होती है। स्वास्थयवर्धक फल संतरा, किन्तु विटामिन ‘सी’ से भरपूर होते हैं। चीकू, केला कार्बोज से भरपूर होते हैं। अंगूर तो स्वास्थ्य के लिए रत्न है। यदि आपका शरीर स्वीकार करता है तो थोड़ा सी रम, ब्रांडी दवा के रूप में रात्रि को ले ली जाए तो वह शरीर को गर्मी प्रदान करने में सहायक रहती है। बच्चों को चम्मच भर ब्रांडी सर्दी जुकाम से सुरक्षा प्रदान करती है। मर्यादा से ज्यादा वयस्क भी ब्रांडी न लें तो लाभ रहेगा।

वर्षा ऋतु के बाद यदि घरों में लिपाई-पुताई, सफाई, चूना, रंग रोगन करवाया जाए तो झाड़-बुहारी करने से, दीवारों पर चूना पुताई करने से, घरों में से जीवाणु विषाणु, कीट पतंग, मच्छर मक्खी मकड़ी छिपकलियां भाग जाते हैं। घर में स्वस्थ वातावरण बनता है। बीमारियां दूर रहती हैं। घर में उचित प्रकाश एवं हवा की व्यवस्था से स्वांश के रोगों से मुक्ति मिलती है। कई लोग कड़ाके की ठण्ड में वस्त्राभाव से ठिठुरकर मर जाते हैं। सर्दी में गर्म स्वेटर, कोट, पेंट, जुराबे, टोपी, मफलर, दस्ताने पहनकर अपने शरीर को गर्म रखना चाहिए। स्वेटर की ऊन के बीच फंसी हवा गर्म रहकर आपके शरीर को गरम रखेगी। रात्रि को उचित कम्बल, रजाई प्रोयग करके ठण्ड से बचने का प्रयास करें। बच्चों एवं बुजुर्गों को ठण्ड जल्दी प्रभावित करती है अत: उनको शीत से बचाएं। बच्चों को नंगे पांव न रखें। पांव से ठण्ड लग जाती है। बुजुर्ग लोग सर्दी को सहन न कर पाने के कारण असमय ही काल का ग्रास भी बन जाते हैं, उनकी सुरक्षा करनी चाहिए।

कोशिश करें कि हर मौसम की ज्यादती से यथा संभव बचा जाए। स्नान करते समय ठण्डे जल की अपेक्षा उष्ण जल प्रयोग किया जाए। जल को अंगीठी या गैस पर गर्म किया जा सकता है। बिजली के गीजर या गैर गीजर के गर्म जल से स्नान करके शरीर को ठण्ड से बचाए। सिर की गर्मी टोपी और पैरों की गर्म मोजों से सुरक्षा करनी चाहिए। गर्म भोजन करने के पश्चात शीतल जल न पिएं। इससे गला खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। कोशिश करें कि भोजन करने के आधे घण्टे के पश्चात ही जल पिंए क्योंकि साथ में जल पीने से पेट के अन्जाईम पतले हो जाते है और उन्हें भोजन को पचाने में कठिनाई होती है।

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