शीत ऋतु में धूप में बैठना, धूप स्नान करना, धूप का फायदा उठाना बहुत जरूरी है। हमें अन्य विटामिनों के साथ विटामिन डी भी जरूरी रहता है। विटामिन सी आहार से तो मिलता ही है, इसे सूर्य की किरणों से आसानी से पा लेते हैं। धूप में जाने से शरीर स्वतः विटामिन डी पा लेते हैं।
- शीत ऋतु में धूप में बैठना सबको अच्छा लगता है। इन दिनों कुछ समय निकालकर धूप में बैठें।
- धूप में हम उष्णता पाते हैं, जो शीत ऋतु में शरीर की जरूरत होती है।
- इस मौसम में आद्रर्ता बहुत रहती है, सूर्य की किरणों ही इससे बचाती हैं।
- रात्रि को सोने वाले वस्त्रों में भी आर्द्रता रहती है। इसका इलाज भी तो धूप ही है।
- धूप पीठ से सेकें। सामने से नहीं।
- तेल की मालिश भी धूप में बैठकर करें।
- सारे शरीर पर धूप पड़े, मगर न सिर पर पड़े न चेहरे पर। सिर पर कपड़ा रखकर बच सकते हैं।
- जब धूप स्नान करें तो पसीना भी आता है। अधिक पसीना आने पर कुछ देर इंतजार करें, एकदम स्नान नहीं करें। पसीना अपने आप सूखे।
- तौलिया खुरदरा हो, उसी से बदन पौंछे।
- शीत ऋतु में शीतल बर्फीली वायु से शरीर की त्वचा शुष्क होकर फटने लगती है। तेल मालिश से इसकी रक्षा हो जाती है।
- धूप सेंकने, धूप स्नान करने से नाड़ी संचालन अधिक सक्रिय होता है। पाचन क्रिया को अधिक शक्ति मिलती है। आलस्य से मुक्ति मिलती है। शरीर में स्फूर्ति आ जाती है। पूर्ण स्वस्थ रहने के लिए कभी-कभी धूप स्नान जरूर करें।