आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में सदियों से इसके महत्व को लोगों ने समझा है और आज के आधुनिक युग में चिकित्सा जगत में एक बार फिर आयुर्वेद को एक नई पहचान दी है। यह तमाम चीजें आयुर्वेद से ली गई हैं और सदियों से लोग इन घरेलू चीजों के इस्तेमाल से सर्दियों के मौसम में अपना बचाव करते आ रहे है।
मौसम
इस समय जबकि ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं पूरा उत्तर भारत ठिठुर रहा है। रेल और सड़क यातायात अस्त-व्यस्त हो चुका है। इन दिनों नाक, कान और गले में होने वाले संक्रमण लोगों को ज्यादा परेशान कर रहे हैं। क्योंकि इन दिनों लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण लोग कई तरह के संक्रमण की चपेट में आते हैं। यह संक्रमण मुख्य रूप से कई तरह की एलर्जी के लक्षणों के साथ पैदा होते हैं। सर्दी के इन दिनों में, ठंड लगना, ज्यादा छींके आना, नाक बहना, कफ होना, नाक बंद होना, ब्रोंकाइटस के लक्षण उत्पन्न होना जिसमें फेफड़ों के भीतर हवा के प्रवाह में बाधा होने लगती है, या गले में सूजन होना जिसके कारण आवाज भारी होने जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
परेशानियां
कई बार इस तरह की परेशानियां लोगों को महसूस होती है कि उन्हें लगता है कि हर समय उनका गला सूखा है। शरीर में कफ की मात्रा बढ़ने से हर समय गले में कफ आता रहता है। इस तरह की स्थिति पैदा होने पर अक्सर लोग कई तरह की सावधानियां बरतते है। और सर्दी खांसी, जुकाम से निजात पाने के लिए कई तरह के घरेलू उपाय अपनाते है। किसी भी तरह का इंफेक्शन चाहे वह बैक्टीरिया से पैदा हुआ हो या वायरल से जन्मा हो, इनमें किसी भी तरह के इंफेक्शन में मरीज के शरीर में बैक्टीरिया और वायरस मौजूद रहते हैं। वायरल इंफेक्शन होना आम बात है और इन दिनों इस तरह के इंफेक्शन से बचाव जरूरी होता है, यही कारण है कि वायरस के इंफेक्शन होने पर हमें उसके खत्म होने का इंतजार करना होता है। उनके लक्षणों के अनुरूप चिकित्सक दवाईयां देते हैं।
परहेज
सर्दी के दिनों में तेज बुखार और टोंसिल्स के सूजन से बैक्टीरिया का इंफेक्शन हो जाता है। यदि समय पर सही एंटीबायोटिक ली जाएं तो इनसे काफी हद तक बचा जा सकता है। कहा जाता है कि इलाज से परहेज अच्छा है। इसलिए सर्दी से बचाव के लिए अपने आपको ठंड से बचाकर रखें। इन दिनों अपने हाथों और पांवों को गर्म बनाए रखें। इसके अलावा सर्दी के मौसम के अनुरूप अपना खानपान रखें। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए विटामिन-सी युक्त आहार लें जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सर्दी के दिनों में आंवले का जमकर सेवन करें। आंवले का जूस या सूखे आंवले का पाउडर खाएं। संतरा और रसेदार फल भोजन में शामिल करें। जिंक युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मेवे और सी-फूड भी इन दिनों के लिए खासतौर पर फायदेमंद होते हैं। क्योंकि यह हमारी श्वसन क्रिया को सुचारू रूप से बनाए रखने में सहायक होते हैं। अपने भोजन में ऐसे खाद्य पदार्थ लें जो शरीर को गर्म रखते हैं और सर्दी से बचाते हैं। काली मिर्च, अदरक, लहसुन, प्याज और केसर भोजन में ज्यादा लें। अपने भोजन में विटामिन ज्यादा लेने के लिए सलाद के रूप में खाई जा सकने वाली चीजों गाजर, टमाटर, चुकन्दर खाएं। अखरोट, बादाम में मौजूद तेल सर्दियों में त्वचा की चमक को बरकरार रखने में सहायक होता है।
औषधि
इन दिनों यदि लगे कि गले या नाक में कोई अवरोध पैदा हो गया है तो सब्जियों से बना गरम-गरम सूप पियें, जिससे गले, नाक के बंद होने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। इन दिनों एलर्जी या ब्रोकाइटस जैसी समस्याएं होने का डर होता है इसलिए वाइन, चीज, विनेगर जैसी चीजें खाने में बचें। सर्दी के दिनों में शादी और पार्टी में जाने के दौरान ठंड लगने और कुछ खा लेने से बीमार होने के खतरे ज्यादा रहते हैं। इसलिए शादी या पार्टी के मौके पर ठंडे ड्रिंक वर्फ और आइसक्रीम खाने से बचें। इन दिनों गरम दूध ज्यादा पियें और दही ज्यादा खाएं। यदि शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाए तो तुलसी, अदरक और काली मिर्च वाली चाय पियें। जुकाम में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद होती हैं। इससे फेफड़ों में वायु के प्रवाह की आवाजाही सुगम होती है। बंद नाक होने, साइनस और सूखी खांसी होने की स्थिति में यूक्लिप्टिस का तेल फायदेमंद होता है। इन तमाम तरह की औषधियों से इन दिनों खासतौर पर फायदा लिया जा सकता है।
सार
आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में सदियों से इसके महत्व को लोगों ने समझा है और आज के आधुनिक युग में चिकित्सा जगत में एक बार फिर आयुर्वेद को एक नई पहचान दी है। यह तमाम चीजें आयुर्वेद से ली गई हैं और सदियों से लोग इन घरेलू चीजों के इस्तेमाल से सर्दी के मौसम में अपना बचाव करते आ रहे है।