7 चमत्कारी फायदे लहसुन खाने के – 7 Miraculous Benefits of Eating Garlic

7 चमत्कारी फायदे लहसुन खाने के - 7 Miraculous Benefits of Eating Garlic

लहसुन दैनिक प्रयोग में आने वाला एक मसाला है। यह अपनी औषधीय क्षमता के लिए विख्यात है। आयुर्वेद ने तो इसकी महिमा मुक्त कंठ से गाई है।

'लंशति छिंनति रोगान लशुनम।'
अर्थात् जो रोगों का नाश करें, वह लहसुन है।

लहसुन का बोटेनिकल नाम ‘एलियन सेटाइवा गालिक’ है। कहीं-कहीं बोलचाल की भाषा में लोग इसे रोगन भी कहते हैं। लहसुन देखने में कुछ-कुछ प्याज से मिलता जुलता है। इसके पौधे की ऊंचाई 30-60 सेमी. तक होती है। पत्तियां चपटी व पतली होती है। इसे मसलने पर एक उग्र तीखी गंध आती है। इसका कंद श्वेत या हल्का गुलाबी रहता है। आवरण को हटाने पर 12-15 छोटे-छोटे मटर आकार के कन्द निकलते हैं। इन्हें भी कुचलने या खाने पर तीखी गंध आती है।

सूखे एवं स्वच्छ स्थानों पर लहसुन को छ: माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका बाह्य और अंत: दोनों प्रयोग होता है। आइए इनके उपयोग के बारे में कुछ हम भी जानें।

  1. लहसुन के तेल लगाने से कड़ी से कड़ी गांठ भी गल जाती है। वात रोग व लकवे में तो इसका प्रयोग रामबाण के समान लाभदायक है। इस बीमारी में लहसुन के तेल की मालिश से जहां मांसपेशियों को पुनर्जीवित होने का मौका मिलता है, वहीं इसके एक-दो जौ के प्रतिदिन प्रात: सेवन से शरीर में आंतरिक गर्मी पैदा होती है।
  2. लहसुन पीसकर पुल्टिस बांधने से दमा, गठिया, सायटिका तथा अनेक प्रकार के चर्मरोग दूर हो जाते हैं। इसकी पुल्टिस जहां चोट लगे या सूजे भाग की सृजन व दर्द भगाती है, वहीं उसमें कुष्ठ रोग तक को दूर कर देने की क्षमता होती है।
  3. आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार पेशाब रूकने पर पेट के निचले भाग में लहसुन की पुल्टिस बांधने से मूत्राशय की निष्क्रियता दूर होती है। फलत: पेशाब खुलकर आता है।
  4. ‘मेडिसिनल प्लान्ट्स आफ इण्डिया’ के अनुसार लहसुन में ‘एलीन’ नामक जैव-सक्रिय पदार्थ पाया जाता है, जो प्रचण्ड जीवाणुनाशक होता है। इसकी जीवाणुनाशक क्षमता कार्बोलिक एसिड से भी दुगुनी होती है।
  5. लहसुन के लेप से जहां फोड़े-फुंसी शीघ्र पककर ठीक हो जाते हैं, वहां दाद-खुजली भी मिटती है।
  6. प्रतिदिन प्रात: एक या दो जौ लहसुन खाने वाले को कभी भी कब्जियत नहीं होती।
  7. जाड़े के मौसम में तो लहसुन का प्रयोग अंत: और बाह्य दोनों (खाने तथा तेल में पका कर मालिश करने) दृष्टि से अतीव उपयोगी है।

लहसुन में अनेक औषधीय गुण भरे पड़े हैं किन्तु इसका अत्यधिक प्रयोग फिर भी वर्जित हैं। अधिक प्रयोग से आंत्रशोध तथा अन्य बीमारियां हो सकती है। तामसी प्रवृत्ति के होने के कारण साधनादि करने वालों के लिए भी इसका प्रयोग वर्जित है।

Garlic is a spice used daily. It’s well-known for its therapeutic properties. Ayurveda has sung its praises.

'Lamshati chinnati rogan lashunam.'
In other words, garlic is the one that destroys diseases.

The botanical name of garlic is ‘Alien Sativa Gallic’. In some locales, it’s also known as Rogan. Garlic bears some resemblance to onions. Its plant has a height of 30-60 cm. The leaves are flat and thin. When crushed, it gives off a fiery, pungent smell. Its tuber is white or light pink. On removing the cover, 12-15 small pea sized tubers emerge. These also have a pungent smell when crushed or eaten.

Garlic can be stored safely for six months in dry and clean places. It is used both externally and internally. Let us also see their uses.

  1. By applying garlic oil, even the toughest lumps dissolve. Its use is as beneficial as a panacea for arthritis and paralysis. In this disease, while massaging with garlic oil gives a chance to the muscles to regenerate, consuming one or two grains of barley every morning generates internal heat in the body.
  2. By grinding garlic and making a poultice, asthma, arthritis, sciatica and many types of skin diseases are cured. While its poultice soothes and relieves pain from injured or swollen areas, it also has the ability to cure even leprosy.
  3. According to Ayurveda experts, in case of urinary retention, applying a garlic poultice on the lower part of the stomach helps in removing the inactivity of the urinary bladder. As a result, urine comes out freely.
  4. According to ‘Medicinal Plants of India’, a bioactive substance called ‘allin’ is found in garlic, which is a powerful antibacterial. Its antibacterial power is twice that of carbolic acid.
  5. By applying garlic paste, boils and pimples heal quickly and ringworm and itching also disappear.
  6. One who eats one or two barley and garlic every morning never suffers from constipation.
  7. In the winter season, the use of garlic is very useful both internally and externally (eating and cooking in oil and massaging).

Garlic has many medicinal properties but its excessive use is still prohibited. Excessive use can cause gastroenteritis and other diseases. Due to its Tamasic nature, its use is prohibited even for those doing spiritual practices.

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