जमीन के अंदर उगने वाले कन्दों में विशेष नाम गाजर का आता है। गुणवत्ता और स्वाद की दृष्टि से गाजर को सब्जियों की रानी कहा गया है। गाजर का रस दूध की मटकी के बराबर है। गाजर में केरोटिन नामक एक तत्व अलग ही रसायन के रूप में होता है। गाजर में यही तत्व सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। इसमें लौह नामक खनिज लवण के साथ फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयोडीन, सोडियम, कैरोटिन आदि तत्व मौजूद होते हैं। यह कच्ची भी खाई जाती है तथा इसका रस निकालकर भी सेवन किया जाता है। सब्जी के साथ-साथ इसका उपयोग हलुआ बनाने में भी किया जाता है। यह अनेक रोगों में रामबाण औषधि का काम करती है। गाजर दिल-दिमाग तथा शारीरिक शक्ति में वृध्दि करती है, आंख, दिमाग तथा पट्ठों को शक्ति को बल देती है तथा हड्डियों को दृढ़ करती है। दिल की कमजोरी तथा हृदय की धड़कन के लिए भी गाजर का सेवन करना हितकर है। गाजर में संतुलित भोजन के तत्व होते हैं। इसे खाने से थकान दूर होती है। मानसिक, शारीरिक शक्ति पैदा होती है। जीवन में उमंग, साहस व शक्ति उत्पन्न होती है, रक्त की कमी दूर हो जाती है, वजन बढ़ता है। गाजर आंख, गला, श्वासनली के रोगों से बचाव करती है। गाजर का रस पीने से यूरिक एसिड कम होता है तथा जोड़ों की सूजन घटती है। गाजर में विटामिन ‘ए’ पाया जाता है जो नेत्र रक्षक होता है। साथ ही इसमें विटामिन सी, बी, ई जी व के भी मिलते हैं। गाजर में लोहे की मात्रा अधिक होती है। गाजर का लोहा शीघ्र पचकर रक्त में मिल जाता है। यह लोहा शरीर में रक्त बनाता है। लौह तत्व की कमी से रक्त तथा पाचन क्रिया खराब हो जाती है अत: प्रतिदिन उचित मात्रा में गाजर का सेवन करना लाभकारी रहता है। गाजर में नयासीन, रिबोफ्लेविन, थायोमिन, कैल्शियम, लोहा, प्रोटीन आदि तत्व पाए जाते हैं।सर्दियों में गाजर नियमित खाने या गाजर का रस पीने से रूप निखरता है। आंखें चमकदार व स्वच्छ बनती है। कच्ची गाजर चबा कर खाने से दांत मजबूत बनते हैं। छोटे बच्चों को अतिसार, सूखा रोग, रक्ताल्पता आदि रोग होने पर कुछ दिन गाजर का रस पिलाने से फायदा होता है।
- मूत्र रोग: पेशाब ठीक न आता हो, पेशाब करते समय दर्द या जलन हो तो कुछ दिन गाजर का रस पीने से फायदा होता है।
- दुग्ध वृध्दि: जिन महिलाओं को प्रसव के बाद दूध कम आता है उन्हें गाजर व गाजर के रस का पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से उनके दुग्ध की मात्रा में वृध्दि होगी।
- रक्त वृध्दि: आधा गिलास गाजर का रस आधा गिलास दूध व स्वादानुसार शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से कमजोरी दूर होती है व रक्त बढ़ता है।
- भूख लगना: गाजर, टमाटर, अदरक तीनों का रस आधा गिलास दूध व स्वादानुसार शहद मिलाकर पीने दिन में दो बार पीने से भूख खुलती है तथा यकृत ठीक होता है।
- स्मरण शक्ति में वृध्दि: लगातार दो माह तक गाजर का हलुआ खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- पेट के कीड़े: एक गिलास गाजर का रस रोजाना पीने से पेट के कीड़े बाहर निकल जाते हैं।
- दंत रोग: 50 ग्राम गाजर का रस रोज पीने से दांत तथा मसूढ़ों के रोग दूर होते हैं तथा रक्त साफ होता है।
- सौंदर्य वृध्दि: गाजर, टमाटर, संतरा व चुकन्दर का रस मिलाकर दो माह तक रोज पीने से चेहरे की झाइंयां व दाग-मुंहासे दूर होकर चेहरा सुंदर व रंग साफ हो जाता है।
- रक्तचाप वृध्दि: एक गिलास गाजर के रस में आठ बूंद लहसुन का रस मिलाकर दिन में तीन बार पीने से रक्तचाप सामान्य रहने लगता है।
- बवासीर: कच्ची गाजर चबाने या उसका रस नियमित रूप से पीने पर बवासीर के रोगियों को फायदा होता है।
- मधुमेह: गाजर के रस में सम्भाग पालक का रस मिलाकर, नमक, जीरा डालकर पीने से मधुमेह रोग में फायदा होता है।
- बच्चों का दुबलापन: बच्चों को प्रतिदिन गाजर का रस पिलाने से वे हृष्ट-पुष्ट बनते हैं।
- दंत रोग: प्रतिदिन गाजर का रस पीने से मसूढ़ों और दांत के रोगों में फायदा होता है।
- आग से जलने पर: आग से जले स्थान पर कच्ची गाजर पीसकर लगाएं। इससे जलन दूर होगी।
- नेत्र रोग: गाजर का रस दिन में तीन बार एक सप्ताह तक पीने से आंखों की लाली, जलन, पानी आना बंद हो जाता है।
- त्वचा साफ: गाजर का रस गर्दन व चेहरे पर रूई के फाहे द्वारा लगाकर सूखने दें, फिर ठण्डे पानी से धो लें। इससे त्वचा साफ व चमकदार बनती है।
- कील मुंहासे: गाजर के रस में नींबू का रस मिलाकर लगाने से कील मुंहासे और दाग-धब्बे दूर होते हैं।
- चेहरे का निखार: गाजर के रस में चंदन का चूरा, गुलाबजल, बेसन, मिलाकर यह पेस्ट चेहरे पर लगाएं। कुछ देर बाद मसलकर चेहरा धो लें। चेहरा निखर उठेगा।