दाद-खुजली ऐसे चर्म रोग हैं कि समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो यह फैसला जाता है। एलोपैथी मलहम बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन इससे लाभ नहीं होता, यह सभी भुक्तभोगी जानते हैं परन्तु यदि घरेलू उपचार जो कि घर में ही कर सकते हैं, किये जायें तो आशातीत सफलता मिलती है।
दाद
इस रोग में शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं जो गोल चक्रों में होते हैं। यह एक फंगस के कारण होने वाला त्वचा रोग है। त्वचा में उभरे इन गोल चक्रों में खुजली एवं सूजन पैदा हो जाती है जो कि खीझ पैदा करती है। इस रोग से बचाव के लिये धूल मिट्टी में काम करने से अधिक पसीने के बाद स्नान अवश्य करना चाहिये। नाइलान व सिंथेटिक वस्त्रों की जगह सूती वस्त्रों का प्रयोग करें तथा अधोवस्त्र को हमेशा साफ सुथरा रखें। उपचार में निम्न प्रक्रिया अपनाएं-
- नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करना चाहिये।
- काले चनों को पानी में पीस कर दाद पर लगायें। दाद ठीक हो जायेगा।
- शरीर के जिन स्थानों पर दाद हों, वहां बड़ी हरड़ को सिरके में घिसकर लगाएं।
- छिलकेवाली मूंग की दाल को पीसकर इसका लेप दाद पर लगाएं।
- नौसादर को नींबू के रस में पीसकर दाद में कुछ दिनों तक लगाने से दाद दूर हो जाता है।
खुजली
एक विशेष प्रकार के सूक्ष्म परजीवी के त्वचा पर चिपक कर खून चूसने से उस जगह पर छाले व फुंसियां निकल आती है। इससे अत्यधिक खुजली पैदा होती है। खुजली एक ऐसा चर्म रोग है जो आनंद देता है खुजाने में। जब तब त्वचा जलने न लगे तब तक खुजलाहट शांत नहीं होती। इस रोग में सबसे अधिक शरीर की सफाई पर ध्यान देना चाहिये। चूंकि यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक शीघ्र पहुंचाता है इसलिय संक्रमित के कपड़े अलग रखकर उनकी गरम पानी से धुलाई करनी चाहिये। उपचार हैं
- आंवले की गुठली जलाकर उसकी भस्म में नारियल का तेल मिलाकर मलहम बनायें और खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर होती है।
- नीम की पत्तियों को गरम पानी में उबालकर खुजली वाले स्थान पर लगायें।
- काली मिर्च एवं गंधक को घी में मिलाकर शरीर पर लगाने से खुजली दूर होती है।
- टमाटर का रस एक चम्मच, नारियल का तेल दो चम्मच मिलाकर मालिश करें और उसके आधे घंटे बाद स्नान करें। खुजली में राहत मिलेगी।
दाद खाज-त्वचा के ऐसे रोग हैं कि लापरवाही बरतने से हमेशा के मेहमान बन जाते हैं। स्वमूत्र चिकित्सा से भी इसका लाभप्रद इलाज होता है बशर्ते किया जाय। छ: दिन का पुराना स्वमूत्र दाद खुजली पर लगाने से और स्वमूत्र की पट्टी रखने से चमत्कारी लाभ मिलता है।