पेट के रोगियों के लिये सबसे कारगर बज्र आसन है। इससे अपच की समस्या का समाधान होता है। पेट दबने से अग्नाशय दबता है जिससे अग्नाशय रसा खाने को पचाने के लिये प्रचुर मात्रा में निकलता है और पेट साफ रहता है तथा पेट की चर्बी भी कम होती है। इस आसन को करने से मधुमेह जैसा रोग नहीं होता तथा यदि है तो ठीक होने लगता है। इस आसन को खाना खाने के बाद भी किया जाना नुकसानदायक नहीं है।
जमीन पर आसन बिछाकर घुटने जमीन में मोड़कर उसके ऊपर बैठ जाइए। पैर के पंजे जमीन में लगे होने चाहिए। उसके बाद दोनों हाथों के पंजों को बंद करके कमर के पास मुट्ठी बांध कर रखें तत्पश्चात् गर्दन और शरीर पीछे की ओर सांस लेते हुए ले जायें फिर स्थिर होकर पेट को दबाते हुए सांस निकालें और घुटने तक अपना सिर लाएं तथा जमीन को नाक से छूने की चेष्टा करें फिर थोड़ी देर इसी मुद्रा में स्थिर रहें। तत्पश्चात् सांस लेते हुए सिर और बदन को पीछे ले जायें तथा सीधे हो जायें इसके उपरांत फिर सांस निकालते हुए घुटने की ओर झुकना है। जमीन में झुकते समय पेट को यथा संभव दबाने की कोशिश करें। इससे अग्नाशय दबने से अग्नाशय रस निकलता है जो शरीर से ब्लड सुगर को नियंत्रित करता है तथा बढ़ने नहीं देता है।
इस आसन को सावधानी पूर्वक ही करना चाहिए तथा यदि पैर में चोट है या दर्द है तो पद्मासन में बैठकर भी किया जा सकता है। यदि इस आसन को करने में दर्द होता है तो वहीं तक करना चाहिए। बज्र आसन करने से पेट में बड़ी चर्बी घटने लगती है। तथा पेट की तोंद घटने लगती है। धीरे-धीरे सांस निकालते समय पेट गुर्दों से चिपका हुआ दिखाई देता है। इस आसन को करने के लिये गर्दन को सीधा रखना चाहिए तथा साइटिका पीड़ित मरीज को यह आसन नहीं करना चाहिए।
इस आसन को यदि रोज सुबह दस बार यानि पांच से दस मिनट तक किया जाये कब्ज गैस और बदहजमी जैसे रोगों से मुक्ति मिल सकती है। जांघ-पिंडलियों में जमा अतिरिक्त चर्बी घटने लगती है तथा घुटनों को शक्ति मिलती है तथा क्रोध, मानसिक नताव भी खत्म किया जा सकता है। बज्ज् आसन पेट के रोगों पर नियंत्रण में तथा अतिरिक्त चर्बी को पेट व शरीर से हटाने के लिये रामबाण आसन है। डायबिटीज के रोगी यदि इस आसन को नियमित रूप से करें तो ब्लड सुगर नियंत्रित होने लगती है और शरीर का बढ़ा वजन भी घटने लगता है।