तनाव से छुटकारे के लिए स्नैक्स न खाएं

तनाव से छुटकारे के लिए स्नैक्स न खाएं

जो तनाव के क्षणों में स्नैक्स खाने की ओर प्रेरित होते हैं दरअसल उनकी यह आदत उनके माता-पिता द्वारा बनायी गयी होती है।

  • काम के बोझ और डेडलाइन के तनाव के चलते कहीं बार-बार आपका मन चॉकलेट खाने का तो नहीं करता है?
  • कहीं ऐसा तो नहीं, आपकी ट्रेन छूट गयी हो और हताशा के इन क्षणों में आप बोरियत से बचने के लिए बर्गर खाना पसन्द करते हों।
  • आफिस से घर लौटने के बाद फ्रिज खोलकर जो भी खाने-पीने की चीजें मिलती हैं आप उसे खाने लगते हैं।

इसका कारण है तनाव के क्षणों में हमारे शरीर में बनने वाले हार्मोन्स। रक्त में शुगर के स्तर को यह हार्मोन्स बढ़ा देते हैं जिसके कारण तनाव की वजह से हमें भूख लगने का एहसास होता है। तनाव के इन क्षणों में हमारे भीतर कुछ स्नैक्स खाने की इच्छा होती है

मनोविदों के अनुसार जो लोग इस तरह की आदत का शिकार होते हैं यानी जो तनाव के क्षणों में स्नैक्स खाने की ओर प्रेरित होते हैं दरअसल उनकी यह आदत उनके माता-पिता द्वारा बनायी गयी होती है। बच्चों के मूड में बदलाव के कारण जो माता-पिता उन्हें खाने-पीने के लिए मीठी चीजें देते हैं, ऐसे बच्चों के मूड में बदलाव के लिए इसी तरह के भोजन को खाने की इच्छा होती है जो लोग तनाव के क्षणों में खा-पीकर अपने तनाव को कम करने का प्रयास करते हैं, धीरे-धीरे उनमें ज्यादा खाने की आदत पड़ जाती है जिसके लिए उन्हें भीतर से कोई अपराधबोध महसूस नहीं होता। ऐसे लोगों के लिए जरूरी है कि वह तनाव को कम करने के लिए स्नैक्स खाकर मोटापा बढ़ाने की बजाय गहरी सांस लें, मेडिटेशन करें और इसके बाद अपना ध्यान किसी दूसरे काम में लगायें।

दिन के किसी भी समय स्नैक्स खाना एक आम बात है। कुछ लोग जब अपने सहकर्मियों या दोस्तों के बीच में होते हैं तो बिना भूख भी बहुत कुछ खा लेते हैं इस तरह के सोशल स्नैकर अपने दोस्तों के बीच में बैठे हुए किसी भी चीज को खाने से मना नहीं करते भले ही उन्होंने पेट भरकर लंच लिया हो इसके बावजूद वह खा लेते हैं। आमतौर पर सोशल स्नैकर किसी रेस्टोरेंट में जाने से पहले भले ही खाने-पीने के लिए ऐसा खाना मंगवाना चाहते रहे हों जो पौष्टिक और ज्यादा वसा युक्त न हो लेकिन दूसरों के बीच बैठकर वह जो खा रहे होते हैं वह भी उसी को खाना पसन्द करते हैं। इस तरह के लोग अपने साथ के लोगों को पसन्द के अनुसार बिना भूख वही खाते हैं जो दूसरे खाते हैं।

एक अध्ययन के दौरान यह नतीजे उभरकर सामने आए कि मोटे लोगों से दोस्ताना रिश्ते रखने वाले भी उनकी सोहबत में धीरे-धीरे मोटापे की ओर बढ़ते जाते हैं। एक दूसरे अध्ययन में यह बात सामने आई कि रेस्टोरेंट में जो व्यक्ति पहले खाना आर्डर करता है वह खाने की पौष्टिकता पर ज्यादा ध्यान देता है। बाकी लोग दूसरों की देखा-देखी वही खाते हैं जो दूसरे खा रहे होते हैं। यह वजह है कि पीयर्स प्रेशर भी मोटापे की एक बड़ी वजह होती है।

  • राजीव को रोज शराब पीने की आदत है। जैसे ही वह पैग शराब का लेते हैं, लगातार कुछ न कुछ उसके साथ खाते रहते हैं।

प्रतिदिन शराब के एक या दो पैग भले ही हमारे भीतर के तनाव को थोड़ी देर के लिए कम करते हों , लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अल्कोहल में काफी मात्रा में शुगर होती है जो हमारे रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ा देती है। जिसकी वजह से शराब पीने के साथ-साथ कई लोग लगातार कुछ न कुछ खाते रहते हैं। शराब पिएं लेकिन उसके साथ क्या और कितना खाना है, इसके बारे में भी गंभीरता से सोचें। आफिस से आने के बाद यदि भूख लगी हो तो अधिक वसा युक्त स्नैक्स खाने की बजाय ऐसे खाद्य पदार्थ खायें जिससे हमारे रक्त में शुगर का स्तर कम रहे और हमारी भूख भी शांत हो सके।

  • क्या ऐसा है कि काम की धुन में आप खाना भूल जाते हैं?
  • टीवी देखने के दौरान आप एक बड़ा चिप्स का पैकेट तो नहीं खा जाते हैं?
  • आफिस में काम को थोड़ा ब्रेक देकर आप आईस्क्रीम खाने के लिए बाहर तो नहीं चले जाते हैं?

यदि सचमुच ऐसा है तो हर समय कुछ न कुछ खाने के बजाय अपने आपको काम में व्यस्त रखें। अपने किसी दोस्त को घर बुलायें। उसके घर जायें। अपने बनाव श्रृंगार में अपने को व्यस्त रखें ताकि आप कम खा सकें। अपने आसपास ऐसी खाने की चीजें न रखें जिन्हें तुरन्त खाया जा सके। चिप्स, चॉकलेट, आईस्क्रीम खाने से परहेज करें। इन तमाम चीजों को खाने की बजाय मौसमी फल खायें, बिना सोचे-समझे हर समय स्नैक्स खाना आपके बोर फेलो होने की निशानी है। इसलिए ऐसी आदतों से बचें।

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