कम्प्यूटर (Computer) जनित रोगों से सावधान!

कम्प्यूटर (Computer) जनित रोगों से सावधान!

कम्प्यूटर (Computer) का आविर्भाव अपनी बहुआयामी उपयोगिता के कारण मनुष्य के लिए एक वरदान के रूप में हुआ, लेकिन आज अपने घातक दुष्परिणामों के कारण कम्प्यूटर (Computer) अभिशाप भी सिध्द हो रहा है। कम्प्यूटर के अति इस्तेमाल के कारण पैदा हो रहे विभिन्न प्रकार के घातक रोग इसकी सूचना दे रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान ने इन रोगों को कम्प्यूटर (Computer) संबंधित रोग कहा है।

पीठ और आंखों का दुश्मन है कम्प्यूटर

कम्प्यूटर पर सही मुद्रा में काम न करने से जहां पीठ में झुकाव (पॉस्चरल बैकेक) और गर्दन से लेकर रीढ़ की हड्डी तक लगातार दर्द रहने (क्रॉनिक बैकेक) का रोग हो सकता है, वहीं लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर नजरें गड़ाये रहने की आदत से आंखों में थकावट (कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कम्प्यूटर के अत्यधिक प्रयोग से कंधों में असहनीय दर्द, कोहनी एवं बगल के स्नायु में पीड़ा एवं सूजन आना, हथेली की मांसपेशियों में सृजन वाली कोशिकाओं पर अधिक दबाव से स्नायुओं का निष्क्रिय बनना आदि जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं।

गर्भवती महिलाओं के लिए भी घातक

यह तथ्य भी सामने आया है कि अधिक मोटे लोगों को कम्प्यूटर रोग होने की आशंका ज्यादा रहती है क्योंकि उनके दोनों हाथ की-बोर्ड तक पहुंचने से कंधों को अंदर की ओर मोड़ देते हैं। गर्भवती महिलाओं पर भी कम्प्यूटर के दुष्प्रभावों का आकलन अनेक प्रकार से होता रहा है। भ्रूण के विकृत होने, उसे नष्ट होने व विकृतिग्रस्त संतान के जन्म लेने तक के दुष्प्रभावों को कम्प्यूटर से संबंधित पाया गया है। हालांकि कम्प्यूटर विशेषज्ञ मानते हैं कि कम्प्यूटर के दुष्प्रभाव के लिए उसके किरणोत्सर्ग के बजाय घंटों तक एक स्थिति में बैठे रहने से होने वाला तनाव अधिक जिम्मेदार है। लगातार कम्प्यूटर के सामने बैठे रहने से आंखों पर जो जोर पड़ता है, वह अंतत: मनोशारीरिक तनाव में बदल जाता है।

कम्प्यूटर आपरेटरों के लिए उचित व्यवस्था आवश्यक

गंभीर बात यह है कि बचपन से ही कम्प्यूटर का अत्यधिक प्रयोग करने वालों को बड़ा होते-होते अत्यधिक नुकसान पहुंच सकता है। सामान्यत: इन रोगों के प्रमुख शिकार चार्टर्ड एकाउंटेंट, पत्रकार, शेयर दलाल, मैनेजमेंट कंसलटेंट एवं वकील होते हैं, जो पूरा दिन कम्प्यूटर की-बोर्ड पर काम करते और स्क्रीन पर आंखें गड़ाये रहते है।

व्यावसायिक कामकाज के लिए कम्प्यूटर का इस्तेमाल आज हर छोटे-बड़े संस्थान में अनिवार्य रूप से हो रहा है, लेकिन कुछ फीसदी बड़े संस्थानों में ही कम्प्यूटर सिस्टम और उस पर काम करने वाले आपरेटर के लिए उचित व्यवस्था की जाती है। जैसे कम्प्यूटर मॉनीटर पर ‘यू वी फिल्टर’ और साथ में बैठने के लिए सही कुर्सी का प्रबंध सभी संस्थानों में निर्धारित मापदण्ड के अनुसार नहीं हो पा रहा है।

कम्प्यूटर जनित रोगों के कारण जहां व्यक्ति का स्वास्थ्य घातक रूप से प्रभावित हो रहा है, वहीं कंपनियों एवं संस्थानों की कार्यक्षमता भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। साथ ही कम्प्यूटर रोग से पीड़ित कर्मचारियों की चिकित्सा के पीछे भी करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

योग विज्ञान का सहारा लें

कम्प्यूटर रोग के उपचारार्थ किए जाने वाले इन उपकरणों के साथ यदि योग विज्ञान के आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि क्रियाओं को भी अपनाया जाए तो इन रोगों के घातक प्रभावों से काफी हद तक बचा जा सकता है।

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