बढ़े हुए कोलेस्ट्राल से भी ज्यादा हानिकारक है अवसाद

बढ़े हुए कौलेस्ट्रॉल से भी ज्यादा हानिकारक है अवसाद

चिंता चिता समान होती है, यह कहावत भले ही बहुत पुरानी हो चुकी है पर आज भी उतनी ही तर्कसंगत है। चिंता के कारण ही व्यक्ति अवसाद का शिकार बनता है और अवसाद को अब तक सिर्फ दिमाग से ही जोड़कर देखा जाता रहा है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक व्यापक अध्ययन करने पर पाया है कि अवसाद का रिश्ता सिर्फ दिमाग से ही नहीं होता बल्कि हृदय तथा बाकी शरीर से भी होता है और अवसाद के कारण दिल की बीमारियां होने की संभावना भी काफी बढ़ जाती है। यही नहीं, दिल की बीमारी भी व्यक्ति को अवसादग्रस्त बनाने में अहम भूमिका निभाती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार मानसिक और शारीरिक स्थिति का आपस में गहरा जुड़ाव होता है और यदि शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो दिमाग भी स्वस्थ नहीं रहता। इसी तरह बीमार दिमाग शरीर की बीमारी को और ज्यादा बढ़ा देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग भी एक अंग होता है और यह उसी तरह कार्य करता है, जैसे शरीर के बाकी अंग। व्यक्ति जब सुख और दुख का अनुभव करता है तो वह भी रासायनिक और विद्युत गतिविधियों की अंत:क्रियाओं का परिणाम होता है लेकिन जब इन अंत:क्रियाओं में असंतुलन होता है, तब अवसाद की स्थिति उत्पन्न होती है।

अवसाद के कारण ही कुछ लोग अपने ही हाथों अपनी जीवनलीला भी समाप्त कर लेते हैं और रिश्ते व उत्पादकता भी इसकी भेंट चढ़ जाते हैं। डाक्टरों का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ता है और वह अवसाद का शिकार है तो दिल की बीमारी के कारण उसकी मौत होने का खतरा भी 4-6 गुना तक बढ़ जाता है। दिल की बीमारी का कारण समझी जाने वाली सभी स्थितियों में सर्वाधिक बुरा असर अवसाद का ही होता है। अवसाद को बढ़े हुए कोलेस्ट्राल से भी ज्यादा हानिकारक माना गया है।

ऐसा नहीं है कि अवसाद के कारण सिर्फ दिल की बीमारी ही खतरनाक मोड़ लेती है बल्कि कैंसर, डायबिटीज, मिरगी तथा आस्टोपोरोसिस से पीड़ित व्यक्ति भी यदि अवसाद के शिकार हों तो उनके अपंग होने अथवा समय से पूर्व उनके मौत के मुंह में जाने की संभावना भी बढ़ जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *