आधुनिक युग में क्यों और कैसे करें श्राध्द?

2024 में क्यों और कैसे करें श्राध्द?

अक्सर आधुनिक युग में श्राध्द की नाम आते ही इसे अंधविश्वास की संज्ञा दे दी जाती हैं। प्रश्न किया जाता है कि क्या श्राध्दों की अवधि में ब्राह्मणों को खिलाया गया भोजन पितरों को मिल जाता है? क्या यह हवाला सिस्टम है कि पृथ्वी लोक में दिया और परलोक में मिल गया? ऐसे कई प्रश्न…

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2024 में श्राध्दों की प्रासंगिकता

2024 में श्राध्दों की प्रासंगिकता

श्राध्दों के संबंध में हमारे धर्मग्रंथों में अत्यन्त उदार व्यवस्था है। श्राध्द केवल माता-पिता या दादा-दादी की तृप्ति के लिए ही नहीं है, अपितु सभी पितरों के लिए है। इससे भी आगे बढ़कर श्राध्द सम्पूर्ण प्राणी मात्र के लिए है, जो अब इस संसार में नहीं हैं। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन के…

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पवित्र मन, वचन व कर्म से तर्पण यानि श्राध्द

पवित्र मन, वचन व कर्म से तर्पण यानि श्राध्द

हिन्दू संस्कृति में श्राध्द करना सर्वश्रेष्ठ पुण्य का कार्य माना गया है। श्राध्द करने से पितर वर्ष भर संतृप्त रहते हैं। हमारी संस्कृति में श्राध्द न करना बुरा माना गया है। ऐसे व्यक्तियों के लिये ‘पृथ्वी चंद्रोदय’ में मनु का कथन है। भारतीय संस्कृति में जन-जन का यह अटूट विश्वास है कि मृत्यु के पश्चात…

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क्षमा वीरस्य भूषणम्

क्षमा वीरस्य भूषणम्

सात्विक जीवन-यापन एवं स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था हेतु भारतीय विद्वानों ने कुछ जीवन मूल्यों का निर्धारण किया है यथा- सत्य, अहिंसा, धृति, क्षमा, दया आदि। इनके अनुगमन द्वारा मानव जीवन में उर्ध्वगमन एवं अमरता का वरण सुनिश्चित है। देवीय स्वभाव के इन लक्षणों का स्वयं श्रीकृष्ण ने गीता में उल्लेख किया है: तेज: क्षमा घृति: शौचमद्रोहो…

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बुढ़ापे को अभिशाप नहीं वरदान बनायें

बुढ़ापे को अभिशाप नहीं वरदान बनायें

यदि बुढ़ापे का भय मिट जाए और यह समझ में आ जाए कि बुढ़ापे का भी अपना आनन्द है तो बुढ़ापा कष्टदायी नहीं होता। आदमी सोचता है बूढ़ा हो जाऊंगा तब कोई नहीं पूछेगा। कोई पास नहीं आएगा। अकेला रह जाऊंगा। वह इसी चिंता में डूब जाता है। पर अब दृष्टि बदल जाए कि बुढ़ापे…

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श्री राम का जन्मदिन राम नवमी

श्री राम का जन्मदिन राम नवमी सत्यमेव जयते का संदेश देता है

राम नवमी का पावन पर्व भगवान श्री राम के जीवन और आदर्शों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक अवसर है। राम नवमी के ही दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने राजा दशरथ के घर में जन्म लेकर समस्त देश वासियों को अपने अपने र्कत्तव्यों के प्रति समर्पण भाव का संदेश दिया था। अपने पिता की…

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3 New Methods of Meditation Practice - ध्यान साधना की 3 नयी पद्धतियां

3 New Methods of Meditation Practice – ध्यान साधना की 3 नयी पद्धतियां

ध्यान-साधना (Meditation Practice) स्वयं को जानने की प्रक्रिया है। चित्त का स्थिर करने की क्रिया है। चंचलता को समाप्त करने की क्रिया है। शांत-स्थिर बनने का मार्ग है ध्यान। इस जन्म के तमाम दुर्गुणों को ध्यान क्रिया से सदगुणों में परिवर्तित किया जा सकता है। यहां बतायी ध्यान की तीन सरल क्रियाएं अपना कर आप…

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राम

राम के गुणों को आत्मसात करने में ही है जीवन की चरितार्थता

राम का चरित्र इतना उदात्त, प्रेरणास्पद, आकर्षक व सम्मोहक है कि राम का चरित्र निभाने वाले अभिनेता तक के प्रति हमारी श्रध्दा उमड़ने लगती है। हम कलाकार को राम मानकर उसकी पूजा करने को विवश हो जाते हैं। राम सबके आदर्श हैं क्योंकि राम एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श पति व एक…

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नारी का अवमूल्यन एक कलंक

नारी का अवमूल्यन एक कलंक

नारी का अवमूल्यन कर, उसे उसकी गौरव गरिमा से गिराकर हमन एक अपराध किया और अंधकारपूर्ण परिस्थितियों में सैकड़ों वर्षों तक रहने का दंड दिया। कहा जा सकता है कि वह पहला अपराध था जिसका दण्ड देते समय इतिहास ने उदारतापूर्वक विचार किया। दक्ष प्रजापति के यज्ञ में गयी हुई सती जब अपने पति शंकर…

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वृक्ष पूजन की सनातन मान्यता, उपयोगिता, और लाभ

वृक्ष पूजन की सनातन मान्यता, उपयोगिता, और लाभ

वृक्ष व वनस्पति रूद्र के रूप में मानी गयी है, क्योंकि वे वैषैली व हानिकारक हवा (गैस) पीकर प्राणवायु प्रदान करते हैं। अत: पेड़ पौधों को सींचना, उन्हें जल प्रदान करना साक्षात महादेव शिव (रुद्र) का जलाभिषेक करना है। आखिर एक वृक्ष सौ पुत्र के समान यूँ ही नहीं कहा गया है. सनातन धर्म संस्कृति…

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