भागदौड़, तनाव और कई अचानक आने वाली परेशानियों ने जिंदगी को जहां अनियमित कर दिया है, वहीं कई तरह का दर्द जीवन में रोज का हिस्सा बन चुका है। दर्द किसी भी बीमारी से हो, उसके प्रति गंभीरता बहुत जरूरी है क्योंकि समय पर और सही इलाज न करना भी दर्द को बीमारी बना सकता है। ऐसी ही एक विशेष बीमारी के दर्द का नाम है ‘स्पांडिलाइटिस’।
इसका दर्द वही बेहतर जानता है, जो इसे सहता है। यह दो रूपों में पाया जाता है। गर्दन में होने वाले दर्द को ‘सर्वाईकल स्पांडिलाइटिस’ तथा कमर के दर्द को ‘लंबर स्पांडिलाइटिस’ कहा जाता है। मुख्यत: यह परेशानी अनियमित खान-पान, गलत रूप से बैठने तथा कमजोरी के कारण होती है पर इससे बचाव हेतु ये उपाय अपनाएं-
- स्वयं को सक्रिय जरूर रखें। किसी भी प्रकार का कार्य न करना भी कमर के स्ायुओं को कमजोर करता है, जिससे दर्द पनपता है।
- शरीर को हिलाने के लिए बनी रीढ़ की स्थिति एक माला के समान होती है, जिसमें 33 मोती एक दूसरे पर रहते हैं। ये गर्दन से प्रारंभ होकर कमर में नीचे तक फैलकर हमें हिलने का कार्य कराते हैं। चूंकि कार्य करने में झटकों को यही सहते हैं, अत: ध्यान रखें कि इन पर ज्यादा भार न पड़े वरना स्पांडिलाइटिस का दर्द शुरू हो जाएगा।
- यह दर्द कई बार आनुवांशिक रूप में भी मिलता है यानी पिता या माता को यह है तो पुत्र में इसके होने की संभावना सर्वाधिक होती है।
- मानसिक रूप से किसी भी बड़े तनाव से खुद को दूर रखें क्योंकि मस्तिष्क की कोशिकाएं इसे जुड़ी होती हैं।
- बढ़ती उम्र में इसके होने की ज्यादा प्रबलता होती है क्योंकि उम्र बढ़ने से रीढ़ के यह मोती घिसते जाते हैं।
- शरीर में कुछ हिस्सों में होने वाली विशेष बीमारियां भी जैसे पथरी, पैन्क्रियॉस ग्लैंड की सूजन तथा ओवरी की सूजन आदि से भी स्पांडिलाइटिस हो जाता है। इसलिए ऐसी बीमारी हो तो पूर्णत: इलाज कराएं।
- आफिस में लगातार कुर्सी पर बैठकर किसी काम को करना, किताब पढ़ना आदि वजहें भी यह दर्द पैदा करती हैं। इससे बचें।
कुछ विशेष उपाय
- स्पांडिलाइटिस को रोकने के लिए चलने-फिरने, सोने, उठने-बैठने आदि आदतों में बदलाव करे
- किसी भारी सामान को जबरन उठाने से बचें। जरूरी हो तो धकेलने का प्रयास करें।
- किसी सामान को जमीन से उठाते वक्त झुकाव कमर पर नहीं, घुटनों पर लें।
- चलने के समय कदमों की लम्बाई सामान्य व आरामदेह रखें तथा हाथों को भी ऐसा ही रखें।
- अगर ज्यादा समय तक खड़ा रहना है तो एक पैर दूसरे से थोड़ा-सा ऊंचा रखें। एक से खड़े न रहकर स्थिति बदलते रहें।
- गाड़ी चलाते समय भी स्टेयरिंग से ज्यादा दूरी न रखें।
- ऊंचाई पर रखे सामानों को उतारने के लिए शरीर को तकलीफ न दें बल्कि स्टूल का उपयोग करें।
- अपने खाने-पीने में बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से थोड़ा परहेज करें।
- पेट के बल सोने से बचें। जरूरी हो तो कमर के नीचे नर्म तकिये का उपयोग करें।
- शरीर में प्रमुख पोषक तत्व कैल्शियम की मात्रा सही रखें। इसकी कमी स्पांडिलाइटिस का कारण होती है।
- शरीर को भरपूर नींद दें और शारीरिक क्षमता से ज्यादा काम न करें।
- शरीर के वजन पर भी नियंत्रण रखें। यह कद के अनुसार ही रहे।
- स्पांडिलाइटिस होने पर चिकित्सक की रायनुसार नियमित रूप से व्यायाम करते रहें।