क्या बटर सेहत के लिए सचमुच नुकसानदेह होता है? इसके बारे में डाक्टर का कहना है कि और दूसरी चीजों की तरह बटर को खाना सेहत के लिये नुकसानदेह नहीं होता। बटर बढ़ने वाले बच्चों के लिये फायदेमंद होती है। यदि इसे बड़े लोग भी कम मात्रा में खाएं तो यह उनकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें तमाम जरूरी विटामिंस और एंटीआक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं। इसके अलावा गाजर के बाद बटर ही एक ऐसी चीज है जिसमें विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
बटर में विटामिन ई और सेलीमियम भी होता है। यह सभी विटामिन और पोषक तत्व हृदय की सुरक्षा के लिये जरूरी होते हैं। इसके अलावा बटर में कुछ फैटी ऐसिड्स भी होते हैं। यह फैटी एसिड्स हमारे शरीर को कैंसर से बचाने में सहायक होते हैं और हमारे भीतर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह ऐसिड्स एनर्जी के लिये शरीर में जल्दी विघटित हो जाते हैं जिसका मतलब है कि बटर में मौजूद फैट के बॉडी में स्टोर होने की कम संभावना होती है। चिकित्सकों का तो यह भी मानना है कि जो लोग वजन घटाने के लिये अपने डायट में बदलाव करते हैं उनके लिय यह फायदेमंद होता है।
लेकिन यह जान लेना भी जरूरी है कि आखिर कौन सा बटर हमारे लिये उपयुक्त होता है? पीले बटर की अपेक्षा सफेद बटर में कम कैलोरीज होता है। यदि इसकी कम मात्रा ली जाय तो यह फायदेमंद होता है। जिन लोगों को लीवर संबंधी समस्या होती है, उनके लिए बटर में पका खाना सुपाच्य होता है। घर में बना मक्खन यलो मक्खन की तुलना में ज्यादा पौष्टिक होता है। क्योंकि यह दूध से सीधे निकाला जाता है। इसके अलावा यह बच्चों के लिए फायदेमंद होता है। यह बटर शरीर द्वारा जल्दी ही पचा लिया जाता है। इसमें चूंकि किसी तरह के प्रीजर्वेटिव्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता जिसके कारण यह यलो बटर की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होता है। इसमें पानी ज्यादा होता है और सोडियम की मिलावट नहीं होती। यह मक्खन यदि फुल क्रीम मिल्क से बनाया जाता है तो वे लोग जो लैक्टोज को पचा नहीं पाते, उन्हें इसे खाने के मामले में ज्यादा सावधान होना चाहिये।
यलो बटर आमतौर पर हर जगह खाया जाता है। इस बटर को कम मात्रा में खाना चाहिये क्योंकि इसमें सेचुरेटेड फैट ज्यादा होता है। जो लोग अपने वजन को कम करना चाहते हैं या जिनमें ज्यादा कालेस्ट्रोल की समस्या होती है उन्हें इसकी कम मात्रा लेनी चाहिये। आहार विशेषज्ञ प्रतिदिन ऐसे लोगों को सिर्फ एक टी स्पून यलो बटर खाने की सलाह देते हैं। यलो बटर में घर के बने बटर की तुलना नमक ज्यादा होता है इसलिए हाई ब्लडप्रेशर वाले लोगों को इसे कम खाना चाहिये। बटर में वसा ज्यादा होती है जिसकी वजह से ब्रेड और बटर को एक साथ खाना सेहत के नजरिये से सही नहीं होता।
ब्रेड स्लाइस पर थोड़े से बटर के साथ ताजी सब्जियां जैसे खीरा, टमाटर या अंकुरित दालें लेना वजन को नियंत्रित रखने में काफी सहायक होता है। बाजार में आजकल कई तरह के लो फैट ब्रेड स्प्रेड्स मिलते हैं। इन्हें बनाने वाली कंपनियां इस बात का दावा भी करती हैं कि इनमें बटर की तुलना में 26 प्रतिशत कम फैट होता है। लेकिन ज्यादातर डाइटीशियंस इस बात से सहमत नहीं होते। उनका मानना है कि किसी भी उत्पाद को बनाने वाली कम्पनी हमेशा अपने फायदे के विषय में ही सोचती है। यह जरूरी नहीं है कि ब्रेड स्प्रेड बनाने वाली कम्पनियां जो दावा करे वह सच ही हो। हकीकत यह है कि लो फैट ब्रेड स्प्रेड्स में भले ही सोडियम की मात्रा कम हो लेकिन इनमें वेजिटेबल फैट ज्यादा होता है और प्रोसेसिंग के दौरान इनमें फैट संग्रहीत हो जाता है जो स्वास्थ्य के नजरिये से सही नहीं है। इसलिये इन स्प्रेड्स को जितान कम मात्रा में खाया जाय, सेहत के लिए उतना ही लाभकारी होता है।
घर में बने बटर और यलो बटर के अलावा आजकल बाजार में पीनट यानी मूंगफली का बटर भी मिलता है। इस बटर में प्रोटीन काफी मात्रा में पाया जाता है। पीनट बटर शरीर में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित करता है और डायजबिटीज के रोगियों के लिये यह फायदेमंद होता है। पीनट यानी मूंगफली के बटर को वसा मुक्त समझना गलत है। इसमें फैट काफी पाया जाता है। इसलिए जो लोग अपने वजन को कम करना चाहते हों उन्हें इसे खाने से बचना चाहिये।