क्या है हार्मोन थेरेपी?

क्या है हार्मोन थेरेपी?

शरीर में हार्मोन्स की बहुत अहमितय है। हार्मोन्स का सीधा संबंध शरीर को जवान रखने से है। जीवन में चौथे दशक के खात्मे तक हार्मोन्स बनने कम होने लगते हैं। बुढ़ापे तक ये बिल्कुल बंद हो जाते हैं और यहीं से शुरू होता है औरत का बेहद मुश्किल समय। किशोरवय से अधेड़ होने तक महिलाओं में जो हार्मोन्स बनते हैं, उन्हीं से उनकी नियमित माहवारी और गर्भधारण की क्षमता विकसित होती है।

रजोनिवृत्ति यानी माहवारी का बंद होना हर स्त्री में अलग-अलग समय और अलग तरीके से होता है। किसी को ज्यादा तकलीफ नहीं होती मगर किसी को तकलीफों के नर्क से गुजरना पड़ सकता है हालांकि मेडिकल साइंस की तरक्की की बदौलत अब हालत बेहतर हो गयी है। औरतों को इलाज से तकलीफों में काफी हद तक मुक्ति मिल जाती है। मन और शरीर दोनों ही तरह से जिंदगी मानो कमजोर हो जाती है। कमजोर हड्डियां, आस्टियोपोरोसिस व आर्थराइटिस जैसी अशक्त लाचार कर देने वाली बीमारियां, घुटनों व जोड़ों का दर्द, फ्रैक्चर की बढ़ती संभावना तथा मीनोपाज में होने वाले हाट फ्लशेज, डिप्रेशन, निराशा, चिड़चिड़ापन सब मिलकर स्त्री को जीवन से विमुख करने लगते हैं।

कई बार यह औरत की सहनशक्ति पर भी निर्भर करता है कि वह मीनोपाज के साथ आने वाली परेशानियों का कैसे व कितना झेल पाती हैं। कई औरतों को पता भी नहीं चलता। खासकर संयुक्त परिवार में रहने वाली सीधी सादी घरेलू औरतें पोते पोतियों को खिलाने व गृहकार्य करने में वक्त आसानी से निकाल लेती हैं मगर अकेलापन और ज्यादा नालेज इसे बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं। तब औरतें जो कुछ भी मीनोपाज से होने वाली तकलीफों के बारे में जान पाती हैं, सभी से अपने को जोड़कर देखती व महसूस करने लगती हैं। इसलिए सही जानकारी होना निहायत आवश्यक है।

मीनोपाज होने पर उम्र का तकाजा भी होता है। यही कारण है कि बाडी से प्राकृतिक रस सूखने लगते हैं। इसका असर स्पष्ट रूप से चमड़ी, बाल व नाखूनों आदि पर देखा जा सकता है। प्रजनन शक्ति खत्म हो जाती है। एस्ट्रोजन व कैल्शियम कम होने से हड्डियां कमजोर पड़ जाती है। जरा चोट लगने से फ्रैक्चर हो सकता है। वैसे भी हड्डियों का बारीक चूरा होना, घुटने के वाशर घिसना, स्टिफ जोड़ कामन प्राब्लम हो जाती है। जिन महिलाओं का गर्भाशय नहीं निकाला गया हो, उन्हें एस्ट्रोजन के साथ प्रोजेस्ट्रोन हारमोन भी दिया जाता है जिससे एस्ट्रोजन के साइड इफेक्ट्स की रोकथाम हो सके।

एचआरटी से होने वाले नुकसानों में खतरनाक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है जैसे ब्रेस्ट कैंसर, गर्भाशय में एंडोमिट्रियल कैंसर या खून में थक्के जमना जिससे पेरालीसिस हो सकता है। प्लस प्वाइंट्स देखें तो हड्डियां मजबूत होती हैं जिससे आस्टियोपोरोसिस की संभावना मिटती है तथा दिल की बीमारियां कम होती हैं। एक नये शोध के अंतर्गत सोयाबीन एचआरटी का अच्छा रिप्लेशमेंट है। इसको लेने में न कोई साइड इफैक्ट है न कोई खतरा। इसके अलावा प्रोटीन कैल्शियम युक्त मेडिकल प्राडक्ट भी दूध, पानी में घोलकर दिया जा सकता है या टेबलेट के रूप में लिया जा सकता है।

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