राम का चरित्र इतना उदात्त, प्रेरणास्पद, आकर्षक व सम्मोहक है कि राम का चरित्र निभाने वाले अभिनेता तक के प्रति हमारी श्रध्दा उमड़ने लगती है। हम कलाकार को राम मानकर उसकी पूजा करने को विवश हो जाते हैं।
राम सबके आदर्श हैं क्योंकि राम एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श पति व एक आदर्श राजा हैं। किशोरावस्था में आततायियों का वध करने वाले एक निडर व बहादुर किशोर व युवक हैं राम। सहजता व सरलता उनका अद्वितीय गुण है। इन्हीं गुणों के कारण वे सबको आकर्षित करते हैं। सब राम में अपने निकटस्थ संबंधियों की छवि तलाशते हैं। मेरा पुत्र हो, पति हो, भाई हो अथवा राजा हो, सब राम जैसे गुणों से ओतप्रोत हों।
राम की सहजता-सरलता ही नहीं, उनकी विनम्रता व धैर्य भी अनुकरणीय हैं। अपनी सहजता, विनम्रता व धैर्य से राम विषम से विषम परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में सक्षम हैं। राम पिता की आज्ञा का पालन कर सहर्ष वन में चले जाते हैं। आज रामनवमी धूमधाम से मनाने वाले कितने लोग हैं जो वास्तव में अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करने, उनकी सेवा कर उन्हें सुख पहुंचाने को तत्पर रहते हैं? निकट संबंधियों में पनपते विवाद, बढ़ते वृध्दाश्रम व वृध्दजनों की बढ़ती उपेक्षा तथा अपमान इस बात का परिचायक है कि हम रामजन्मोत्सव मनाने की पात्रता ही कहां रखते हैं?
आज हममें राम जैसी सरलता, संवेदनशीलता, परदुखकातरता व उत्तरदायित्व की भावना नहीं रही। सीता जैसी पत्नी तो हर कोई चाहता है लेकिन राम बनने को कोई तैयार नहीं दिखलाई पड़ता। राम सीता के बिना कुछ कहे ही सब कुछ समझ जाते हैं। पत्नी की ऐसी बेचैनी, घबराहट, व्याकुलता, अधैर्य अथवा व्यग्रता या कष्ट देखकर राम के सुंदर नेत्रों से अश्रु प्रवाहित होने लगते हैं। जब सीता ने अपने प्राणप्रिय राम के इस प्रेम को देखा तो उनके नेत्रों में भी जल भर आया। आज देश में पुन: रामराज्य स्थापित करने की बात होती है। यह तभी संभव है जब हम सब राम जैसे उदात्त भावों से ओतप्रोत हो जाएं। राम की मूर्ति पूजने अथवा शोभायात्रा निकालने की बजाय राम के गुणों को आत्मसात करने में ही है वास्तविक रामजन्मोत्सव।