नींद न आना एक कष्टप्रद स्थिति है। अनिद्रा पर संभवत: प्रेम के बराबर ही गजलें या कविताएं लिखी गयी है। नींद का सामान्य समय परिभाषित नहीं है। उम्र के मान से नींद का अलग-अलग समय होता है। शिशु 16 घंटे सोते हैं, किशोर 10 घंटे, मध्य आयु के लोग 8 घंटे और वृध्द लगभग 5 घंटे सोते हैं।
पहले आती थी
हाल-ए-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यों रातभर नहीं आती?
अनिद्रा के कई कारण होते हैं। सामान्य तनाव और बुरे विचार अनिद्रा के भौतिक कारणों में आते हैं। एक और दशा होती है, जब व्यक्ति पर्याप्त सोता है पर कहता है कि उसे नींद नहीं आती। अन्य कारणों में शरीर में कहीं भी दर्द, पेट की वायु, हृदयाघात या फेफड़ों की बीमारी के कारण सांस लेने में तकलीफ, बुखार एवं दिमाग की बीमारियां है। दीर्घकालीन विषाक्तता जैसे यूरीनिया (गुर्दों का काम न करना), सुरा पान, रेबीज इत्यादि भी इसके कारण हो सकते हैं।
दिमाग की बीमारियों में दिमागी धमनियों का कड़ा होना मुख्य है, जो ढलती उम्र में होता है। इससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इस बीमारी में व्यक्ति सो जल्दी जाता है पर जल्दी ही उठ जाता है, फिर उसकी नींद दोबारा नहीं लगती। दूसरी बीमारी जीपीआई या जनरल पैरालिसिस आफ इनसेन है। यह बीमारी सिफलिस की अंतिम अवस्था में होती है। इस बीमारी में पैरालिसिस, समृति ह्रास एवं अभिमान की भावना आ जाती है।
बेड स्लीपर (जो पर्याप्त नींद न आने की शिकायत करता है) को लगता है कि यदि पर्याप्त नींद न लगे तो वो पागल हो जाएंगे और यदि नींद की दवाइयां लेने लगेंगे तो उनकी आदत पड़ जाएगी। उन्हें दिलासा दी जानी चाहिए। अन्य प्रकरणों में आराम, शांति, गर्माहट, वातावरण बदलना, गुनगुने पानी से नहाने के पश्चात् मालिश, गर्म पेय इत्यादि उन्हें पुराने क्रम में लौटने में सहायक होते हैं। गरिष्ठ भोजन, अत्यधिक श्रम एवं मानसिक तनाव से यथासंभव बचना चाहिए। कुछ लोगों को समुद्र के किनारे तो कुछ लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छी नींद आ सकती है। सफलतापूर्वक स्थापित किया गया यौन संबंध भी अच्छी निद्रा देता है।
विलम्बित अनिद्रा को दूर होने में समय लग सकता है। ऐसी स्थिति में नींद की गोलियां सहायक हो सकती है। जिनकी मध्य रात्रि को नींद खुल जाती है और वो दोबारा सोना चाहते हैं, उन्हें सूखे बिस्किट्स और गर्म दूध का एक थर्मस पास में रखना चाहिए और आवश्यकतानुसार सेवन करना चाहिए।
अनिद्रा में नींद की गोलियां अत्यंत सहायक होती है। यदि उपरोक्त तरीकों से नींद नहीं आती है तो नींद की गोलियां लेने में कोई हर्ज नहीं है। नींद की गोलियां तनाव दूर करने के साथ-साथ कुछ रक्तचाप भी कम करती है। उनकी आदत नहीं पड़ती है। ये गोलियां नशे की गोलियों से अलग होती है। इन्हें निश्चित समय पर ही लिया जाना चाहिए, लेकिन ये दवाईयां केवल चिकित्सक की सलाह पर ही ली जानी चाहिए।